राजस्थान के मेहरानगढ़ किले की सच्चाई जानकर आप भी हैरान हो जाऊंगी।क्या है सच्चाई?

मेहरानगढ़ किला, जिसे मेहरान दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के जोधपुर शहर में स्थित एक विशाल किला है। यह किला 1459 में राव जोधा द्वारा बनवाया गया था और यह भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। यह किला 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और विशाल दीवारों से घिरा हुआ है।
मेहरानगढ़ किले से जुड़ी मान्यताएँ:
 * नींव में बलि:
   * मेहरानगढ़ किले के निर्माण के समय, एक चट्टानी पहाड़ी पर किले की नींव रखने के लिए, वहाँ रहने वाले एक साधु को विस्थापित करना पड़ा। क्रोधित साधु ने यह श्राप दिया कि यह किला हमेशा पानी की कमी से ग्रस्त रहेगा।
   * इस श्राप के प्रभाव को कम करने के लिए, राजा ने एक व्यक्ति की स्वैच्छिक बलि देने का फैसला किया। राजाराम मेघवाल नामक एक व्यक्ति ने इसके लिए खुद को प्रस्तुत किया और उसे किले की नींव में जीवित दफनाया गया।
   * इसलिए, किले के निर्माण के दौरान राजाराम मेघवाल की बलि को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है, और उनकी स्मृति को आज भी सम्मानित किया जाता है।
 * श्राप का प्रभाव:
   * स्थानीय लोगों का मानना है कि साधु के श्राप के कारण, इस क्षेत्र में अक्सर पानी की कमी होती है।
   * यह भी माना जाता है की हर तीन या चार साल में पानी की कमी होती है।
 * चामुंडा माता मंदिर:
   * किले के अंदर चामुंडा माता का एक मंदिर है, जो स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। चामुंडा माता को जोधपुर के राठौड़ वंश की कुलदेवी माना जाता है।
   * यह मंदिर बहुत प्राचीन है और इसका बहुत महत्व है।
 * सूर्य देव से संबंध:
   * राठौड़ वंश सूर्यवंशी माना जाता है, इसलिए किले का नाम "मेहरानगढ़" रखा गया, जिसका अर्थ है "सूर्य का किला"।
मेहरानगढ़ किला न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह कई मान्यताओं और परंपराओं का भी केंद्र है, जो इसे और भी रोचक बनाते हैं।

मेहरानगढ़ की तोपे :-

  • किलकिला तोप:
    • यह तोप महाराजा अजीत सिंह द्वारा अहमदाबाद में बनवाई गई थी।
    • यह तोप किले के विशाल बुर्जों के मध्य में स्थित है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
  • शम्भुबाण तोप:
    • यह तोप महाराजा अभयसिंह ने सर बलन्द खाँ से छीनी थी।
  • गजनी खाँ तोप:
    • यह तोप महाराजा गजसिंह ने 1607 ई. में बनवाई थी।

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